स्तनपान प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है। जहाँ शिशु को पहले आहार के रूप में सर्वश्रेष्ठ भोजन प्राप्त होता है , वही माँ और बच्चे में भावनात्मक रिश्ता भी बनता है। इससे दोनों को ही अमूल्य संतुष्टि हासिल होती है। WHO के अनुसार शिशु को छः महीने तक सिर्फ स्तनपान देना चाहिए तथा इसके बाद दो साल की उम्र तक अन्य आहार के साथ स्तनपान कराना चाहिए।
“स्तनपान कराने के फायदे”
प्राकृतिक सर्वश्रेष्ठ आहार : माँ का दूध नवजात शिशु के कोमल अंगों तथा पाचन क्रिया के अनुरूप प्रकृति द्वारा निर्मित होता है। इसमें बच्चे की जरुरत के सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में होते हैंमाँ के दूध में मौजूद प्रोटीन और वसा गाय के दूध की तुलना में भी अधिक आसानी से पच जाता है।। इन्हे शिशु आसानी से हजम कर लेता है। इससे शिशु के पेट में गैस बनने , कब्ज , दस्त आदि होने या दूध उलटने की सम्भावना बहुत कम होती है।
पहला पीला दूध (खीस) :मां के दूध में मौजूद Colostrum, ज़िंक, कैल्शियम और विटामिन्स से भरा होता है. ये लैक्सेटिव के तौर पर काम करता है, जिससे बच्चे को पहला मल होता है. यदि ये ठीक से न हो, तो बच्चे को पीलिया होने का ख़तरा रहता है. ये बच्चे की अन्य कई रोगों से भी रक्षा करता है.
सही आहार -:बच्चे के बड़े होने के साथ उसके शरीर की ज़रूरतें बदलती हैं, मां के दूध में इन ज़रूरतों के हिसाब से तत्व मौजूद होते हैं. मां के दूध का तापमान भी बच्चे के लिए एकदम सही होता है. मां का दूध पी रहे बच्चे को और कोई भी चीज़ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
स्वच्छ और आसान : बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से उसे पूरी तरह स्वच्छ दूध नहीं मिल पाता. ब्रेस्टफ़ीड करने से मां को भी दूध को उबालने, बोतल को धोने, स्टरलाइज़ करने जैसे काम नहीं करने पड़ते. ब्रेस्टफ़ीडिंग से बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
माँ और बच्चे के बीच अनोखा बंधन :स्तनपान कराने के दौरान माँ और बच्चे के बीच के संबंध में सुधार होता है | शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से माँ और बच्चे का रिश्ता और गहरा होता है ।
ये आपके शरीर के लिए अच्छा है : ब्रेस्टफ़ीड कराने वाली मां दूध पिलाते हुए एक दिन में 400 कैलोरी तक इस्तेमाल करती है. इससे स्तन ढीले होते हैं, ये एक मिथक है. दूध पिलाने के समय गर्भाशय सिकुड़ता है, जिससे उसे अपने सामान्य आकार में आने में मदद मिलती है।
घाव को जल्दी से भरता है -:बच्चे के जन्म देने की प्रक्रिया के दौरान मां के शरीर को बहुत दर्द और घाव से गुजरना होता है। स्तनपान कराने से ये घाव जल्दी से भरते हैं और मां को सामान्य स्थिति में लाने में मदद करते हैं।
स्तन कैंसर के खतरे को कम करते हैं : स्तनपान से लिम्फ नोड्स (Lymph nodes) स्तन के अन्य घटकों के साथ सक्रिय हो जाते हैं। ये स्तनपान के खतरे को कम कर देते हैं। रिसर्च के मुताबिक जो मां अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें स्तनपान कराने वाली मां के मुकाबले ब्रीस्ट कैंसर होने का ज्यादा खतरा बना होता है।
मासिक धर्म की छुट्टी: जब तक माँ अपने बच्चे को अच्छी तरह स्तनपान कराती है, प्रसव के बाद मासिक धर्म चक्र की शुरुआत देरी से होती है। जैसे-जैसे स्तनपान कम हो जाती है, वापस मासिक चक्र शुरू होता है स्तनपान कराने से ओवुलेशन में देरी होती है | ये प्रक्रिया या वक़्त हर माँ के लिए अलग भी हो सकता है |
कैलोरी घटाता है : अपने दूध पिलाने से कई कैलोरी स्वचालित रूप से घटा सकती है | प्रति दिन 500 कैलोरी तक कम कर सकते हैं । इसका मतलब है कि आपको गर्भावस्था के वज़न कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराना चाहिए, जिससे आपका वज़न भी घटेगा और बच्चा भी सेहतमंद रहेगा |
शीघ्र घाव भरता है : जन्म देने की प्रक्रिया के दौरान माँ के शरीर को बहुत अधिक घाव और पीड़ा से गुज़रना पड़ता है । स्तनपान की प्रक्रिया इन घावो को तेजी से भरती है और नई माँ को जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में वापस लाने में मदद करता है।
कैंसर का खतरा कम करता है :स्तनपान से लिम्फ नोड्स(lymph nodes) स्तन के अन्य घटकों के साथ सक्रिय हो जाते हैं। ये स्तन कैंसर का खतरा कम करते हैं | जो माँ अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती है उन्हें स्तनपान करने वाली महिला की तुलना में स्तन कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। पहले की मासिक धर्म में गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है |
बेमिसाल ऊर्जा का लाभ मिलता है: हर मां जब आप अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं ,उन्हें एक अद्वितीय शक्ति महसूस होती है। यह आपको सक्रिय रखता है और बच्चे के विकास के लिए भी ये बहुत महत्वपूर्ण है।