अरस्तु का जन्म यूनान में 384 ई.पू. स्टेगीरा नामक स्थान पर हुआ था | उसके पिता का नाम नीकोमैक्स था। जो मेसोडोनिया के राज दरबार के शाही चिकित्सक थे। अपने पिता से चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनकी रूचि विज्ञान की तरफ रही | 18 वर्ष की आयु में वह मानव मस्तिष्क के अध्ययन हेतु प्लेटो की विश्व प्रसिद्ध अकेडमी में आकर प्रवेश लिया।
★ कौन था अरस्तु ★
अरस्तु यूनान का महान विचारक एवं दार्शनिक था | वह राजनीति में ही नही बल्कि नीतिशास्त्र, धर्मशास्त्र , अर्थशास्त्र , आचारशास्त्र , मनोविज्ञान , जन्तुशास्त्र , शरीर-विज्ञान, तर्कशास्त्र आदि विषयों का भी ज्ञाता था | वर्तमान वैज्ञानिक विचार परम्परा का जनक भी अरस्तु को माना जाता है | अरस्तु को बुद्धिमानो का गुरु और यूनान का “सूर्य” कहा जाता था | उसने जीवन मे लोगों से न्याय और कानून की बात मानने की अपील की है । 346 ईस्वी पूर्व में वह मकदुनिया के युवराज सिकन्दर के शिक्षक नियुक्त हुए | 6 वर्ष तक अरस्तु वही रहे |
★ अरस्तू की रचनायें ★
अरस्तु ने लगभग 400 ग्रंथो की रचना विभिन्न विषयों पर की थी जिसमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना ” Politics “और ” एथेंस का संविधान ” है |
Politics राजनीति शास्त्र पर लिखा हुआ वैज्ञानिक ग्रन्थ है जिसमे तत्कालीन राजनैतिक व्वयस्था की बात कही गयी है | अरस्तु ने अपने राज्य संबधी विचार में कहा है कि “राज्य का निर्माण व्यक्ति समूह ने जान बुझकर या सोच-विचारकर नही किया है | राज्य तो एक प्राकृतिक संस्था है | मनुष्य एक राजनितिक प्राणी है जो अपने स्वभावतः राजकीय जीवन के लिए बना है | राज्य का जन्म मनुष्य की भौतिक मूल आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए होता है | राज्य के विकास में कुटुंब , ग्राम,नगर ,राज्य और पुलिस व्यवस्था का विशेष महत्व है | राज्य मनुष्य से पहले है | वही संविधान सबसे अच्छा है जो अधिक स्थायी होता है |”
★ अरस्तु के दृष्टि मे आदर्श राज्य ★
अरस्तु ने आदर्श राज्य में निम्न बातों का होना ज़रूरी बताया है:-
आदर्श राज्य के लिए शासन की भलाई ,कानून व्यवस्था के सिद्धांतो पर भी विचार दिए |
आदर्श राज्य के लिए जनसंख्या न कम न ज्यादा होनी चाहिए |
राज्य का क्षेत्र आवश्यकतानुसार होना चाहिए | जनता का चरित्र आदर्श राज्य में उन्नत होना चाहिए |
आदर्श राज्य के लिए भोजन ,कला-कौशल , शस्त्र ,सम्पति ,सार्वजनिक देवपूजा ,सार्वजनिक हित के साथ साथ 6 प्रकार के वर्ग – कृषक ,शिल्पी ,योद्धा ,धनिक ,पुरोहित और प्रशासक वर्ग आवश्यक है |
अरस्तु वह प्रथम राजनितिक वैज्ञानिक था जिसने राज्य संबधी सभी विषयों पर विस्तारपूर्वक विचार व्यक्त किये | सभी विषयों और सिद्धांतो का प्रतिपादन वैज्ञानिक ढंग से किया | अरस्तु ने राज्य के स्वरूप को लोककल्याणकारी मानते हुए उत्तम नागरिक , उत्तम संविधान तथा श्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था को भी आवश्यक माना है |
अरस्तू का निधन 322 ईस्वी पूर्व में कैलियस नगर में हुआ।