भारत में antibiotics का इस्तेमाल पिछले दशक में बड़ी तेजी से बढ़ा है. बुधवार को जारी स्टेट ऑफ वर्ल्ड एंटिबायोटिक 2021 की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है की, प्रति व्यक्ति उपयोग में करीब 30 फीसद से ज्यादा उछाल आया है. ये सर्वे वाशिंगटन की सेंटर फोर डिजीज डायनामिक्स, इकोनोमिक्स एंड पॉलिसी की रिपोर्ट ने की है 2010 और 2020 के बीच कुल उपयोग में प्रतिशत बदलाव भी करीब 48 फीसद रहा है.
भारत में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल में तेजी से वृद्धि
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2020 में जानवरों को एंटीमाइक्रोबियल्स का अनुमानित कुल उपयोग 2 हजार 160 टन तक था . 2030 तक ये अनुमानित कुल खपत बढ़कर 2 हजार 236 टन तक पहुचने की संभावना है . पशु प्रोटीन की मांग में भारी वृद्धि ने पशु स्वास्थ्य क्षेत्र में एंटीमाइक्रोबियल्स के इस्तेमाल को बढ़ाया दिया है . पशु स्वास्थ्य सेक्टर में इन दवाइयों का इस्तेमाल न सिर्फ संक्रमण की रोकथाम करता है बल्कि ये तेजी से विकास करने में मदद करता है .
सीडीडीईपी और अन्य के रिसर्च में पाया गया है कि 2013 में जानवरों के आहार में सभी एंटीमाइक्रोबियल्स का वैश्विक सेवन 1 लाख 31 हजार टन था और 2030 तक 2 लाख 23 हजार टन पहुंचने का अनुमान है. सीडीडीईपी के डायरेक्टर रमानन लक्ष्मीनारायण ने कहा, “मुख्य चिंता की बात ये है कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल, खासकर पशु सेक्टर में बढ़ रहा है. इससे जूनोटिक्स संक्रमण का खतरा बढ़ता है.” पशुओं में एंटीमाइक्रोबियल का सेवन इंसानों के सेवन से करीब तिगुना है.
भारत की तुलना में चीन कम कर रहा है इस्तेमाल
Antibiotics दुनिया भर में बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज करने के लिए बहुत ही कारगर दवाएं हैं. इन दवाइयों का इस्तेमाल पिछले दशक में तेजी से बढ़ा है. उसी तरह बहुत सारे देशों, खासकर कम आमदनी और मध्यम आमदनी वाले देशों में बढ़ोतरी हुई है. सीडीडीईपी की रिपोर्ट बताती है कि एंटीबायोटिक की वैश्विक खपत 2000 और 2015 के दौरान 65 फीसद तक थे और एंटीबायोटिक इस्तेमाल की दर में 39 फीसद तक की वृद्धि हुई. लक्ष्मीनारायणन ने कहा, “अगर आप दूसरे बड़े देश जैसे चीन से तुलना करें, तो पाएंगे कि ये एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भारत की तुलना में प्रति व्यक्ति कम कर रहा है.”