अमरावती महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह इन्द्र देवता की नगरी के रूप में विख्यात है। जिस नगरी में देवता लोग रहते हैं। इसे इन्द्रपुरी भी कहते हैं। अमरावती स्तूप, आंध्रप्रदेश के अमरावती गांव में स्थित है जिसे महाचैत्या के नाम से भी जाना जाता है। दूसरी शताब्दी ई.पू में में बनी यह स्मारक बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थान है। इस महास्तूप को दीपलादिन्ने के नाम से भी जाना जाता है। यह स्तूप दक्षिण भारत में मौर्य वास्तुकला का अनूठा नमूना है। साथ ही, स्तूप की सुंदर बनावट और उस पर की गई बारीक नक्काशियां, बुद्ध के जीवन की गाथा का चित्रण, बहुत कुछ कहती हुई प्रतीत होती हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटक दूर- दूर से खिंचे चले आते हैं। पहले यह स्तूप चूना पत्थर से बनी साधारण सी संरचना थी, परंतु सातवाहन शासकों ने इसका पुनः निर्माण कर एक आकर्षण वास्तुशिल्प स्मारक का रुप दे दिया।
धम्मपद अट्ठकथा में उल्लेख है कि बुद्ध अपने किसी पूर्व जन्म में सुमेध नामक एक ब्राह्मण कुमार के रूप में इस नगर में पैदा हुए थे। अशोक की मृत्यु के बाद से तक़रीबन चार शताब्दियों तक दक्षिण भारत में सातवाहनों का शासन रहा। आंध्रवंशीय सातवाहन नरेश https://jumpabola.com/ शातकर्णी ने लगभग 180 ई.पू. अमरावती को अपनी राजधानी बनाया। सातवाहन नरेश ब्राह्मण होते हुए भी महायान मत के पोषक थे। और उन्हीं के शासनकाल में अमरावती का प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप बना, जो तेरहवीं शताब्दी तक बौद्ध यात्रियों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। मूल स्तूप घण्टाकार था।
अमरावती स्तूप की वास्तुकला : अमरावती स्तूप ईंट से बना है और इसमें एक गोलाकार वेदिका है, जो एक हाथी के ऊपर मानव रूप में भगवान बुद्ध को दर्शाती है। स्तूप में 95 फीट तक ऊंचे प्लेटफॉर्म हैं जो चार दिशाओं में फैलते हैं। यह स्तूप दक्षिण भारत में मौर्यकालीन वास्तुकला का महत्वपूर्ण नमूना है। पहले अमरावती स्तूप चूना पत्थर से बनी एक साधारण सी संरचना थी, लेकिन जब अमरावती सातवाहन शासकों की राजधानी बना तो, सातवाहन शासकों ने इस स्तूप का फिर से निर्माण करवाया और इसे एक आकर्षण वास्तुशिल्प स्मारक का रुप दे दिया, इसके साथ ही इसमें भगवान बुद्ध की जीवन गाथा का सजीव चित्रण किया situs slot gacor गया है, हालांकि जैसे-जैसे बौद्ध धर्म का आस्तित्व कम होता चला गए वैसे ही यह स्तूप भी उपेक्षा का शिकार हो गया।
अमरावती में स्थित इस महास्तूप की सुंदर बनावट न सिर्फ लोगों को अपनी तरफ आर्कषित करती है बल्कि इस स्तूप पर बनी बारीक और बेहद सुंदर नक्काशियां महात्मा बुद्ध की शिक्षा और उनके जीवन की गाथा का बखूबी चित्रण करती हैं और देखने में बेहद सजीव प्रतीत होती हैं। यही वजह है कि अमरावती स्तूप को देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
वहीं इस अमरावती स्तूप को स्थापित करने को लेकर यह कहा जाता है कि जब सम्राट अशोक का दूत, बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अमरवती आया, तभी उन्होंने इस आकर्षण वास्तुशिल्प स्मारक की नींव रखी