आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
Aankhon mein raha dil mein utar kar nahi dekha
कश्ती के मुसाफिर ने समुन्दर नहीं देखा
kashti ke musafir ne samundar nahi dekha
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।
गुफ्तगू उनसे रोज होती है मुदतो सामना नहीं होता
मैं उदास रस्ता हूं शाम का तेरी आहटों की तलाश है
ये सितारे सब हैं बुझे-बुझे मुझे जुगनुओं की तलाश है
वो जो दरिया था आग का सभी रास्तों से गुज़र गया
तुम्हें कब से रेत के शहर में नयी बारिशों की तलाश है
नए मौसमों की उड़ान को अभी इसकी कोई ख़बर नहीं
तिरे आसमां के जाल को नए पंछियों की तलाश है
मिरे दोस्तों ने सिखा दिया मुझे अपनी जान से खेलना
मिरी ज़िंदगी तुझे क्या ख़बर मुझे क़ातिलों की तलाश है
तिरी मेरी एक हैं मंजिलें, वो ही जुस्तजू, वो ही आरज़ू
तुझे दोस्तों की तलाश है मुझे दुश्मनों को तलाश है
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है
महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है
उसे किसी की मुहब्बत का ऐतबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
तमाम उम्र मेरा दम उसके धुएँ से घुटा
वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है
सर से चादर बदन से क़बा ले गई
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई
मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल हैं
ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई
मैं समुंदर के सीने में चट्टान था
रात एक मौज आई बहा ले गई
हम जो काग़ज़ थे अश्कों से भीगे हुये
क्यों चिराग़ों की लौ तक हवा ले गई
चाँद ने रात मुझको जगा कर कहा
एक लड़की तुम्हारा पता ले गई
मेरी शोहरत सियासत से महफ़ूस है
ये तवायफ़ भी इस्मत बचा ले गई
आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
बे-वक़्त अगर जाऊंगा सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूं मिरी मंज़िल पे नज़र है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा
यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैंने
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा
ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं
वो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे
वो सादगी न करे कुछ भी तो अदा ही लगे
वो भोल-पन है कि बेबाकी भी हया ही लगे
ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है
कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे
नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हंसता है
मैं चाहता हूं ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहां तुझ सा
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
हज़ारों भेस में फिरते हैं राम और रहीम
कोई ज़रूरी नहीं है भला भला ही लगे
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है
महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है
उसे किसी की मुहब्बत का ऐतबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
तमाम उम्र मेरा दम उसके धुएँ से घुटा
वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा
मैं ख़ुदा का नाम लेकर पी रहा हूं दोस्तो
ज़हर भी इसमें अगर होगा दवा हो जाएगा
सब उसी के हैं हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आसमां
मैं जहां भी जाऊंगा उसको पता हो जाएगा
मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूटे हो
इक दीवार पे चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो
उजले उजले फूल खिले थे
बिल्कुल जैसे तुम हंसते हो
मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
दिल का हाल पढ़ा चेहरे से
साहिल से लहरें गिनते हो
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
मेरे गिलास में थोड़ी शराब दे जाओ
बहुत से और भी हैं ख़ुदा की बस्ती में
फ़क़ीर कब से खड़ा है जवाब दे जाओ
मैं ज़र्द पत्तों पे शबनम सजा के लाया हूं
किसी ने मुझसे कहा था हिसाब दे जाओ
मेरी नज़र में रहे डूबने का मंज़र भी
गुरूब होता हुआ आफ़ताब दे जाओ
फिर इसके बाद नज़रे नज़र को तरसेंगे
वो जा रहा है खिजां के गुलाब दे जाओ
हज़ार सफ़ों का दीवान कौन पढ़ता है
बशीर बद्र’ कोई इन्तखाब दे जाओ
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
और जाम टूटेंगे इस शराब ख़ाने में
मौसमों के आने में मौसमों के जाने में
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
फ़ाख़्ता की मजबूरी ये भी कह नहीं सकती
कौन सांप रखता है उस के आशियाने में
दूसरी कोई लड़की ज़िंदगी में आएगी
कितनी देर लगती है उस को भूल जाने में
उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है
मैं उदास रस्ता हूं शाम का तेरी आहटों की तलाश है
ये सितारे सब हैं बुझे-बुझे मुझे जुगनुओं की तलाश है
वो जो दरिया था आग का सभी रास्तों से गुज़र गया
तुम्हें कब से रेत के शहर में नयी बारिशों की तलाश है
नए मौसमों की उड़ान को अभी इसकी कोई ख़बर नहीं
तिरे आसमां के जाल को नए पंछियों की तलाश है
मिरे दोस्तों ने सिखा दिया मुझे अपनी जान से खेलना
मिरी ज़िंदगी तुझे क्या ख़बर मुझे क़ातिलों की तलाश है
तिरी मेरी एक हैं मंजिलें, वो ही जुस्तजू, वो ही आरज़ू
तुझे दोस्तों की तलाश है मुझे दुश्मनों को तलाश है
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है
महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है
उसे किसी की मुहब्बत का ऐतबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
तमाम उम्र मेरा दम उसके धुएँ से घुटा
वो इक चराग़ था मैंने उसे बुझाया है
सर से चादर बदन से क़बा ले गई
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई
मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल हैं
ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई
मैं समुंदर के सीने में चट्टान था
रात एक मौज आई बहा ले गई
हम जो काग़ज़ थे अश्कों से भीगे हुये
क्यों चिराग़ों की लौ तक हवा ले गई
चाँद ने रात मुझको जगा कर कहा
एक लड़की तुम्हारा पता ले गई
मेरी शोहरत सियासत से महफ़ूस है
ये तवायफ़ भी इस्मत बचा ले गई