तम्बाकू नशे की पहली सीढ़ी है ,जो भी नशा का आदि अपना नशा स्टार्ट करता है वो सबसे पहले अपना नशा तम्बाकू से ही करता है। ये एक ऐसा जहर है जो धीरे धीरे कब नशेड़ी की जी ज़िन्दगी बर्बाद कर देता है , उसे खुद भी पता नही चलता है। इसको पहली बार लेने वाला कहता है कि मैं बस इसको टेस्ट के लिए ले रहा हूँ और कब ये टेस्ट उसकी आदत बन नाती है उसे खुद भी नही पता चलता है।
दोस्तों आज हम आपको होने वाले नुकसानों के बारे मे इसको बताएँगे और इसके क्या हानिकारक दुष्प्रभाव एवं दुष्परिणामों हो सकते है इसको खाने वाले कि ज़िन्दगी मे।
तम्बाकू के प्रकार :
पहले हम ये जानते है कि तम्बाकू किन किन रूपों मे खाया जाता है और कहाँ कहाँ इनका यूज़ होता है :
- बीड़ी,
- सिगरेट,
- सिगार,
- जर्दा,
- खैनी,
- चैरट,
- चुट्टा,
- धुमटी,
- हुकली,
- चिलम,
- हुक़्क़ा,
- गुटखा,
- सुरती,
- तम्बाकू वाला पान,
- गुल इत्यादि
ऊपर बताये गए सभी चीज़ें तम्बाकू से बनी हुई होती है और अगर आप इनमें से किसी एक का भी सेवन कर रहे है तो आप नशे के आदि है और आप धीरे धीरे कैंसर और मौत slot की तरफ़ बढ़ रहे है।
तम्बाकू में पाये जानेवाले हानिकारक तत्व तथा रसायन : पहले तो हमको ये जानना होगा कि तम्बाकू क्यों खाया जाता है । दोस्तों तम्बाकू खाने से इंसान के अंदर मादकता या उतेजना पैदा हो जाती है । ये इसमें पाए जाने वाले निकोटीन कर कारण होती है जो बहुत हानिकारक होता है। अगर इसकी ज्यादा मात्रा नशा करने वाले के बॉडी मे चली जाए तो उस की मौत भी हो सकती है।
तम्बाकू से कैंसर कैसे होता है : एक अध्ययन ये बताता है कि तम्बाकू मे 28 तरह के कार्सिनोजेनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर हो सकता है। इनमें निकोटीन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस प्रमुख हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड गैस होने के साथ-साथ शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है, जिससे शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जैसे कि दिमाग, हृदय, फेफड़े ठीक तरह से कार्य नही कर पाते।
निकोटीन नशा करने वाले रक्तचाप को बढ़ाता है जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती हैं। इन दोनों के अलावा तम्बाकू में कैंसर उत्पन्न करने वाले अनेक तत्व तथा रसायन पाये जाते हैं।
जैसे :
- टार
- मार्श गैस
- अमोनिया
- कोलोडान
- पापरीडिन
- फॉस्फोरल प्रोटिक अम्ल
- परफैरोल, ऐजालिन सायनोजोन
- कोर्बोलिक ऐसिड
- बेनजीन इत्यादि
लोगों मे कैंसर जिस नशे से सबसे ज़्यादा होता है वोतम्बाकू ही है। वैसे तो कैंसर हर जगह होता है पर तम्बाकू की होने के कारणों में सबसे बड़ा योगदान तम्बाकू का ही होता हैं। जिसमें प्रमुख है :—-
- फेफड़े का कैंसर
- मुँह का कैंसर
- गले अथवा श्वसन नली का कैंसर
- पेट का कैंसर,
- किडनी
- पैंक्रियाज में होने वाले कैंसर,
- ब्लैडर और मूत्राशय
कौन कौन से रोग होते है तम्बाकू से : वैसे तो तम्बाकू हमें रोग छोड़ के कुछ देता नही है फिर भी हम आज आपको इससे होने वाले प्रमुख रोगों के बारे मे बताते है :-
तम्बाकू से हृदय संबंधी रोग: कैंसर के बाद तम्बाकू से जो सबसे ज़्यादा भयानक रोग होता है वो है हार्ट का रोग। जी हाँ!
बॉडी मे खून निकोटीन तथा कार्बन की मात्रा बढ़ जाने cara deposit slot via dana से शरीर के नसों में थक्के जम जाते हैं, जिससे खून बहने मे दिक्कतें आने लगती है और बॉडी का परिवहन तंत्र प्रभावित हो जाता हैं।
हमारे दिल का काम होता है हमारे बॉडी मे सही तरीक़े से खून को शरीर मे बहने देना ,अब जब हमारे बॉडी मे कहि खून नही जा पाता है तो हमारे दिल को खून भेजने के लिए बल bonus new member 100 to 5x लगाना पड़ता है। जिसके कारण नसों मे ब्लड प्रेशर होता है जिससे नसें फट जाती है और हृदयाघात(Heart Attack) भी हो सकता है।
तम्बाकू का फेफड़ों पर प्रभाव : जिस अंग से मनुष्य साँस लेता है वो है फेफड़ा। ये फ़ेफ़डे जब धुआंयुक्त तम्बाकू का सेवन करते है तो इसका बहुत बुरा असर होता है।
अगर हम किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क मे आते है जो तम्बाकू का सेवन करता है तो इसका धुंआ हमारे फेफड़ो पर बहुत ही बुरा असर डालते हैं। जिससे हमारे फेफड़ो का भी उतना ही नुकसान होगा जितना उस तम्बाकू पीने वाले के फेफड़ों का होगा।
हमारे फेफड़ो में छोटे-छोटे लगभग 30 करोड़ अल्वेओली पायें जाते है जो रक्त में ऑक्सीजन मिलाने तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड निकालने का कार्य करते है। तम्बाकू का गर्म धुंआ हमारे फेफड़ों के इन वायु पुटिकाओ यानि अल्वेओली के दीवालों को नुकसान पहुचाते है जिससे रक्त में ऑक्सीजन ठीक से नही मिल पाता है। तम्बाकू के सेवन अथवा उसके ध्रुमपान करने से धुंए के साथ जो कार्बन तथा टार हमारे फेफड़ों में चले जाते है, वो फेफड़ो में पायी जानेवाली सिलिया के बालों के पर्त पर जम जाते है, जिससे श्वाश लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। तम्बाकू के ज्यादा सेवन से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
तम्बाकू सेवन से होते है कई तरह के रोग :
- तम्बाकू का सेवन पुरुष या महिला दोनों के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, पुरुषों में तम्बाकु के सेवन से शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, जिससे नपुंसकता हो सकता हैं, जबकि स्त्रियों में तम्बाकू के सेवन से बाँझपन हो सकता हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भपात हो जाने की आशंका बनी रहती है तथा भ्रूण का विकास प्रभावित होता है।
- तम्बाकू में पाए जानेवाले फोस्फोरल प्रोटिक एसिड के कारण टी. बी. रोग तथा परफैरोल के कारण दांत पीले, मैले और कमजोर हो जाते हैं। तंबाकू से होने वाले ल्यूकोप्लाकिया(leukoplakia) रोग के कारण आपके दांत और मसूड़े सड़ने लगते हैं।
- तम्बाकू का ज्यादा नशा करने से स्वाद तथा सूंघने की शक्ति प्रभावित होती हैं। साथ ही दम्मा तथा कई असंक्रामक रोग हो जाते हैं।
- इसके ज्यादा सेवन से मुँह से दुर्गन्ध आती रहती है साथ ही हमारी लार ग्रंथि भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती जिसके फलस्वरुप भोजन के पाचन में परेशानी होने लगती हैं।
- कभी-कभार छाती में दर्द होना, जकड़न होना, आँख से दिखाई कम पड़ना, सिर में दर्द होना, रक्तचाप बढ़ जाना तम्बाकू के प्रभाव के कारण हो सकता हैं।
- तम्बाकू के कारण होनेवाले रोगों से हमारी त्वचा काफी हद तक प्रभावित होती है जिससे आपका शरीर ऐसा दिखने लग जायेगा जैसे की आप बूढ़े हो चुके है। आप शारीरिक तौर पर भी काफी कमज़ोर हो जायेंगे