चाय!!!! जी हाँ!!!!!!चाय हम आज बात कर रहे है करोड़ो इंडियंस की जो सिर्फ न चाय को पसंद करते है बल्कि अपने खान पान की शान समझते है। कोई भी धर्म हो कोई भी राज्य है देश का कोई ऐसा कोना नही जहाँ पे चाय न गयी हो। कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरूणाचल प्रदेश तक चाय का बोलबाला है। अब ज़नाब चाय है तो दूर तक गयी और इसको बनाने का तरीका भी लोगों ने अपने इलाक़े के अनुसार बना लिया। तो आइए चलते है इस सर्दी मे और एक करते है एक गर्मागर्म चाय यात्रा।
हमारी इस यात्रा की कड़ी मे जो पहली चाय की किस्म है वो पेश है :—-
★ गुर-गुर चाय- लद्दाख एवं हिमालय
हाड़ जमा देने वाली सर्दी माईनस डिग्री पे तापमान और वहीं तिब्बत, लद्दाख एवं हिमालय का खूबसूरत पहाड़ो का इलाका और इस इलाक़े मे बनती है अनोखी गुर-गुर चाय। जी हाँ!!! गुर – गुर चाय
● ऐसे बनती है गुर-गुर चाय :– याक के दूध, बटर एवं एक खास किस्म की पत्तियों से तैयार की जाने वाली इस चाय में चीनी की जगह नमक का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि यहाँ के स्थानीय लोग एक दिन में 30 से 40 कप गुर-गुर चाय पी लेते हैं। ठंड से राहत देने के अलावा ये चाय सर्दियों में त्वचा को खुश्क होने से भी बचाती है।
क्यों होता है नमक का इस्तेमाल :—- यहाँ के लोग चाय मे नमक का इस्तेमाल इसलिए करते है क्योंकि यहाँ जाड़ा बहुत पड़ता है और बाथरूम जाने समस्या बनी रहती है ऐसा इसलिए कि नमक बॉडी के लिए अतिरिक्त पानी को सोख लेता है।
शीर चाय- कश्मीर :—
चाय की बात हो और कश्मीर की चाय का नाम न आये ऐसा कैसे हो सकता है। जी हाँ!!! कश्मीर की फेमस चाय है शीर चाय जिसको यहाँ के लोग बहुत शौक से पीते है। ऐसा कहा जाता है कि इस चाय को जन्नत मे लाने वाले मुगल थे। इस चाय को नून चाय भी कहते है। इसे बनाने के लिए आपके पास अच्छा-ख़ासा वक्त होना जरूरी है क्योंकि इसे आम चाय की तरह पांच मिनटों में नही बनाया जा सकता। इसे बनने में घंटो का वक्त लगता है।
कैसे बनती है शीर चाय :—
शीर उर्दू का एक शब्द जिसका अर्थ दूध होता है। इसमें डाली जाने वाली सामग्री में कश्मीरी चायपत्ती, पानी, मीठा सोडा, छोटी इलायची, जावित्री, नमक एवं चीनी के अलावा एक गिलास ठंडा पानी अलग से और सजाने के लिए ड्राई फ्रूट्स का भी इस्तेमाल होता है। इसके स्वाद को और बेहतर बनाने के लिए इसमें दूध क्रीम भी डाली जाती है। इसका रंग देखने में काफी खूबसूरत गुलाबी होता है।
ईरानी चाय- हैदराबाद :—
कुछ साल पहले एक गाना आया था ” असलम भाई मेरे असलम भाई !!! चीन की चड्डी, दुबई का चश्मा और ईरानी चाय !!!!! ”
जी हाँ!!! हम बात कर रहे है ईरानी चाय की । सालों पहले जब ईरान से लोग भारत मे रहने आये तो वहाँ से वो वहाँ की अपनी संस्कृति एवं खान-पान की लाजवाब सौगात भी साथ लेकर आए थे। उन्हीं में से एक खास चीज़ है इनकी ईरानी चाय!
भारत में मुंबई के रास्ते पूना होते हुए हैदराबाद पहुंची से चाय वहाँ अपनी खास पहचान बना चुकी है। यहाँ इस ईरानी चाय के कई रेस्टोरेंट एवं कैफे हैं।
कैसे बनती है ईरानी चाय :—-
चाय के पानी को अच्छी तरह 15-20 मिनट उबाला जाता है। फिर इसको दूध को ख़ूब गाढ़ा होने तक उबाला जाता है क्योंकि इसका दूध जितना गाढ़ा होगा चाय का स्वाद उतना ही बेहतरीन होगा। स्वाद को बढ़ाने के लिए उसमें मावा या फिर दूध क्रीम ऊपर से डाला जाता है।
भारतीय चाय से थोड़े अलग तरीके से बनने वाली ये चाय आमतौर पर दो-चार लोगों की बजाय एक साथ कई लोगों के लिए बनाई जाती है। दरअसल इसे बनाने में भी अच्छी-खासी मेहनत और समय लगता है। चायपत्ती के साथ चुनिंदा मसालों के मिश्रण को तकरीबन बीस मिनट तक धीमी आंच में पकाया जाता है और दूध को अलग से धीमी आंच पर पका कर गर्म किया जाता है। इसमें पड़ने वाले मसाले को गोलकी, दालचीनी, बदिएन खटाई, कालीमिर्च पाउडर एवं छोटी इलायची से तैयार किया जाता है।