गुजरात के खूबसूरत शहर में, शतरुंजया पहाड़ पर पालिताना जैन मंदिर स्थित है। पालिताना के जैन मंदिर उत्तर भारतीय वास्तुशिल्प के अनुसार बनाए गए थे। शतरुंजया पहाड़ों की श्रृंखलाओं पर 900 से अधिक मंदिर स्थित हैं। जैन मंदिर 24 तीर्थंकर भगवान को समर्पित हैं। मंदिर को बहुत ही खूबसूरत एवं बारीकी से निर्मित किए गए हैं। 11वीं एवं 12वीं सदी में बने इन मंदिरों को दो भागों में बनाया गया है। पालिताना मंदिरों को टक्स कहा जाता है। मान्यता है कि मंदिर जैन तीर्थंकरों को अर्पित किए गए हैं। मुगलों के शासन के दौरान पालिताना के राजा उनादजी ने सीहोर पर आक्रमण किया उसी के विरोध में भावनगर के राजा गोहिल वाखटसिंझी ने पालिताना पर आक्रमण किया। परंतु राजा उनादजी ने ढृढता एवं साहस से भावनगर के राजा को पराजित कर दिया था।
पालिताना का इतिहास (History of palitana in Hindi): पालिताना का इतिहास राजा उनाद जी की साहसिक गाथाओं से शुरु होता है। राजा उनाद ने सीहोर और भावनगर के राजा से युद्ध कर उन्हें पराजित किया था। शतरुंजया पर्वत पर स्थित जैन मंदिर पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित हैं। भगवान ऋषभदेव जी को आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है।
पालिताना की मान्यता (Importance of palitana): पालिताना के मंदिर 11वीं एवं 12वीं सदी में बने हैं। इन मंदिरों के बारे में मान्यता है कि ये मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। कई जैन तीर्थकरों ने यहां पर निर्वाण यानि मोक्ष प्राप्त किया था। इसी कारण इस क्षेत्र को “सिद्धक्षेत्र” भी कहते हैं। पालिताना की मान्यता है कि रात के समय भगवान विश्राम करते हैं। इस कारण रात के समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है। इन मंदिरों के दर्शन के लिए गए सभी श्रद्धालुओं को संध्या होने से पहले दर्शन करके पहाड़ से नीचे उतरना पड़ता है।
कैसे पहुँचें : पालिताना पश्चिम रेल लाइन पर स्थित है। रेल से 277 किलोमीटर दूर एवं 215 किलोमीटर रास्ते मार्ग से पालितना जा सकते हैं। सबसे निकट एयरपोर्ट भावनगर में स्थित है जो कि 62 किलोमीटर की दूरी पर है। एयरपोर्ट से पालिताना तक बसों के माध्यम से पहुँच सकते हैं