मालिश हमारे शरीर को बहुत ज़रूरी है । अधिकतर ये देखा गया है कि मालिश नवजात शिशुओं को ही किया जाता है , लेकिन ऐसा नही है मालिश सिर्फ नवजात शिशुओं को ही आवश्यक है मालिश सभी आयु वर्गों के लिए ज़रूरी है चाहें बड़े हो या छोटे क्योंकि हड्डियों की मजबूती सभी को चाहिए।
आइये आज हम बात करने वाले है मालिश के फ़ायदे के बारे मे तो जैसा कि सर्दियां आ गयी है और इन सर्दियों मे अगर गुनगुनी धूप मे अगर तेल की मालिश शरीर को मिल जाये तो आनंद ही आ जता है।
आयुर्वेद के अनुसार भी तेल की मालिश से वात, पित्त व कफ के दाेषाें काे दूर कर शरीर काे निराेगी रखा जा सकता है। पुराने समय से ही कर्इ प्रकार के तेलाें का उपयाेग मालिश के लिए किया जाता रहा है। आइए जानते हैं किस तेल की मालिश से क्या फायदा मिलता है :-
तिल का तेल : आयुर्वेद के अनुसार तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इसे हल्का गरम कर मालिश करने से निखार आता है। जोड़ों का दर्द हो तो इसके तेल में थोड़ा सोंठ पाउडर, एक चुटकी हींग डाल कर गर्म कर मालिश करें।
सरसों का तेल : खाने के अलावा सरसों के तेल की मालिश से शरीर का रक्तसंचार बढ़ता है, थकान दूर होती है। नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। सर्दियों में इस तेल की मालिश लाभदायक है। सरसों के तेल को पैर के तलुओं में सुखाने से थकान तुरंत मिटती है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात पाई जा सकती है।
मूंगफली का तेल : यह खाने में स्वादिष्ट व पचने में हल्का है। प्रोटीन से भरपूर यह तेल रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित कर हृदय रोगों से बचाता है। जोड़ों के दर्द में इससे मालिश करने से आराम मिलता है।
अलसी का तेल : यह औषधीय गुणों व विटामिन-ई से भरपूर है। त्वचा जलने पर इसे लगाएं, दर्द व जलन से राहत मिलेगी। कुष्ठ रोगियों के लिए यह फायदेमंद है।
नारियल का तेल : इसमें कपूर मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज, खुजली की शिकायत दूर होती है। त्वचा जलने पर तुरंत नारियल तेल लगाने से निशान नहीं पड़ते।
जैतून का तेल : सर्दियों में बच्चों की राई के तेल से मालिश करने पर निमोनिया व सर्दी के अन्य रोगों में लाभ मिलता है। इससे हल्की मालिश कर के गुनगुनी धूप लें। इसे खानपान में शामिल करने से वजन नियंत्रित रहता है।
तेलाें के खास प्रयाेग :
सिर दर्द : आंवले को तेल में उबालकर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
थकान : लहसुन को सरसों के तेल में गर्म कर लगाना फायदेमंद होता है। थकान होने पर पैरों की मालिश करें।
एलर्जी : त्वचा में समस्या है तो सरसों का तेल लगना चाहिए। यह एलर्जी में भी लाभकारी है। स्किन प्रॉब्लम्स में नारियल तेल में कर्पूर मिलाकर लगाएं।
सिर दर्द : यदि सिर दर्द है तो आंवला, कढ़ी पत्ता या गुलाब की पंखुडियों को तिल के तेल में उबालकर लगाने से आराम मिलता है। यह खुशबूदार भी होता है।
अस्थमा : सर्दी में अस्थमा के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए।
जॉइंट्स पेन : जोड़ों में दर्द है तो सरसों, कैस्टर, अलसी, नारियल और तिल का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर गुनगुना कर लगाएं। इससे आराम मिलेगा।
Benefit Oil message in Hindi
- त्वचा में आई खुश्की दूर होती है।
- त्वचा की झुर्रियां दूर होती हैं।
- त्वचा में चमक आती है।
- ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
- शरीर की नस-नाड़ियों को ताकत मिलती है।
- मांसपेशियों की कमजोरी दूर होती है।
- थकान दूर होती है।
- शरीर में ताकत महसूस होती है।
- औषधीय तेलों का इस्तेमाल किया जाए, तो हड्डियां मजबूत होती हैं।
- गठिया, हड्डियों का टेड़ा-मेढ़ा होना, सिरदर्द, दिमाग की कमजोर आदि दूर होती
मालिश करते वक्त बरतें सावधानियां
- धूप में बैठकर गुनगुने तेल से मालिश करें। इसके कई लाभ होते हैं।
- ज्यादा ठंडी हवा में खुले बदन मालिश न करें, इससे ठंड लग सकती है।
- मालिश के तुरंत बाद ठंडे पानी से न नहाएं।।
- एकदम नहाकर धूप में आकर न बैठें, सर्द-गर्म हो सकता है।
मालिश के लिए मौसम और तेल, दोनों की भूमिका अहम होती है। मौसम के अनुसार, मालिश के लिए जरूरी जरूरी तेल और तरीके, दोनों बदल जाते हैं।
सर्दी: सर्दी के मौसम में इसे बेहद गुणकारी माना गया है। सुबह के समय धूप निकलने के बाद मालिश करानी चाहिए। सर्दियों में मालिश के लिए तिल के तेल का इस्तेमाल करें। दरअसल, तिल के तेल से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही यह त्रिरोग (वात, पित्त और कफ) नाशक का भी काम करता है।
गर्मी: गर्मी में मालिश के लिए नारियल का तेल या गाय का घी इस्तेमाल करना चाहिए।
मॉनसून: बेहतर होगा कि मॉनसून में बॉडी मसाज से बचें, लेकिन अगर इलाज के लिए जरूरी हो तो कुछ बातों का ध्यान रखें। बारिश हो रही हो तो मालिश न कराएं और मालिश तभी कराएं जब धूप निकल रही हो। तिल के तेल को इस मौसम में परफेक्ट माना जाता है।
ऐसे करें मालिश :
- सबसे पहले सिर की मसाज करनी चाहिए। ध्यान रहे कि मालिश हल्के-हल्के हाथों से करें। सिर के साथ ही चेहरे की भी मालिश करें। इसके बाद हल्के हाथों से गर्दन पर मालिश करें।
- गर्दन के बाद कंधों पर गोल-गोल तरीके से मालिश करें। फिर हाथों पर उंगलियों की दिशा में मालिश करें। कोहनियों और कलाइयों पर भी गोल-गोल मसाज करें।
- इसके बाद शरीर के आगे के हिस्से (सीना और पेट) की मालिश करें। यहां ज्यादा जोर न लगाएं। आगे के हिस्से में महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल, फेफड़े आदि होते हैं। इसलिए आगे की ओर ज्यादा देर तक मसाज नहीं करनी चाहिए।
- कमर पर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करना बेहतर माना जाता है। कमर पर मालिश के दौरान उंगलियों से थोड़ा दबाव बनाना बेहतर रहता है।