भारत देश मे रेल यात्रा करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और हर रोज लाखों यात्री इस यात्रा को करते है। यात्रियों के लिए भारतीय रेल ने मुख्यतः तीन तरह कि श्रेणी बनाई है जिसे जनरल, स्लीपर और ए. सी. मुख्य रूप से है। जनरल मे यात्रा करने वालों को संख्या ज्यादा है। अक्सर ये देखा गया है जनरल मे भीड़-भाड़, जल्दबाज़ी और भी दूसरे कारणों से कई यात्री जनरल का टिकट लेकर स्लीपर मे चढ़ जाते है, और उसके बाद टी. टी. ई. उनसे मनमाने रूप से रुपये जुर्माने के रूप मे वसूलता है। अगर आप भी कभी ऐसी यात्रा कर रहे है तो घबराने की कोई ज़रूरत नही है। हम आपके आज ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे है जिनकी मदद से आपको टी. टी. ई. से डरने की कोई ज़रूरत नही है और आप उसको मनमाने रूप से पैसे देने से भी बचेंगे।
इन उपायों को अपनाएं :
- स्टेशन पहुंचने के बाद ट्रेन की जानकारी लें.
- यदि आपकी ट्रेन उसी स्टेशन से खुलती है तो फिर पता कर लें कि क्या वेटिंग टिकट मिल रहा है.
- यदि आपको वेटिंग टिकट मिल गया तो आप स्लीपर में यात्रा कर पाएंगे।
लेकिन यदि ना मिलें तो इन उपायों को अपनाएं.
- यदि वेटिंग टिकट भी नहीं मिलता है तो जनरल टिकट लेना ना भूलें.
- टिकट सुपरफास्ट का ही लें ताकि किसी भी एक्सप्रेस में भी सफर कर पाएं.
- अब यदि जनरल बोगी भरा हुआ है तो आप स्लीपर में जा सकते हैं.
- इसके बाद खासकर ख्याल रखें कि आरक्षित सीट वालों को परेशान ना करें. यदि वह अपनी सीट पर बैठने नहीं देते हैं तो आप जबरन ना बैठें नहीं तो मुसीबत में पड़ सकते हैं.
- अब आप टीटीई या टीसी से मिलकर आपका अतिरिक्त किराए एफटी (एक्सेस फेयर टिकट) की रसीद कटा लें. यदि वह फाइन या कुछ अन्य प्रकार से डराने व पैसे ऐंठने की बात करता है तो डरें नहीं. उसे केवल लागत किराया दें. क्योंकि अगर आपके पास है जनरल टिकट तो टीसी कानूनन तौर से चालान नहीं काट सकता है.
- रसीद कटने पर अब आप आऱाम से स्लीपर में खड़े या नीचे बैठकर यात्रा कर सकते हैं.
जाने इन नियमों के बारे मे भी :
- इंडियन रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट (indianrail.gov.in) में दर्ज जानकारी के मुताबिक एक व्यक्ति एक बार में सिर्फ 6 टिकट ही बुक करा सकता है।
- हर कोई यात्री किसी श्रेणी में किसी यात्रा के लिए पीएनआर बुक करवाता है तो उसे यात्रा के दौरान अपनी पहचान का कोई एक प्रूफ देना होता है। यह आधार कार्ड या वोटर आईकार्ड (ओरिजनल) हो सकता है। इसके बिना माना जाएगा कि यात्री बिना टिकट सफर कर रहा है और उसी के हिसाब से उससे शुल्क वसूला जाएगा।
- एक बार में एक व्यक्ति की ओर से सिर्फ एक रिजर्वेशन फॉर्म ही स्वीकार किया जाएगा, हालांकि अगर रिटर्न जर्नी भी यात्रा का हिस्सा है तो यात्री दो से तीन फॉर्म का इस्तेमाल कर सकता है।
- जब बर्थ एक यात्री के लिए रिजर्व होती है, तो इसका मकसद यह होता है कि उसे सोने के लिए रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक स्थान उपलब्ध करवाया जाए।
- टिकट पर ट्रेन के डिपार्चर का समय लिखा होता है जो कि यात्री के लिए एक संकेतक होता है। रेलवे यात्रियों को तय समय पर अपनी यात्रा के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचना चाहिए। यात्रियों को यात्रा के दिन रेलवे स्टेशन से सही समय का पता लगाना चाहिए। इस तरह के टिकट 120 दिन पहले एडवांस में छापे जाते हैं।
- वो यात्री जिनकी टिकट आरएसी (रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन) श्रेणी की है उन्हें शुरुआती तौर पर बैठने भर के लिए सीट उपलब्ध करवाई जाती है और बाद में स्थान मिलने पर उन्हें बर्थ भी उपलब्ध करवाई जा सकती है। यह उस सूरत में होता है जब काफी सारे यात्री अंतिम मिनटों में अपनी टिकट कैंसिल कराते हैं या फिर यात्री समय पर स्टेशन नहीं पहुंचते हैं।
- रिजर्वेशन काउंटर पर रिजर्वेशन का आवेदन ट्रेन के डिपार्चर (प्रस्थान) के 4 घंटे पहले तक स्वीकार किए जाते हैं, इसके बाद यह सुविधा नहीं मिलती है। इसके बाद, निर्धारित प्रस्थान से एक घंटे पहले स्टेशनों पर मौजूदा काउंटरों पर रिजर्वेशन कराया जा सकता है।
- अगर किसी यात्री के लिए कोई सीट या बर्थ आरक्षित है तो वो यात्रा के 10 मिनट पहले तक किसी को नहीं दी जाती (यात्री के न पहुंचने की सूरत में)। रेलव प्रशासन इस पर रिजर्वेशन कैंसिल कर यह सीट या बर्थ उस यात्री को दे सकता है जिसकी टिकट आरएसी या वेटिंग लिस्ट वाली है।
- जिस रेल यात्री को कन्फर्म रिजर्वेशन मिलता है या तो टिकट बुकिंग के दौरान ही उसे कोच या बर्थ अलॉट हो जाती है जिसका जिक्र उसकी टिकट में होता है