चंद्रमा पर पहुंचकर पहला कदम रखने का कीर्तिमान रचकर दुनिया को हैरत में डाल देने वाले नील आर्म स्ट्रांग की जिदंगी बचपन से ही तमाम अनोखी उपलब्धियों से भरा रहा है।
नील आर्मस्ट्रांग वे पहले आदमी थे, जिन्हें चन्द्रमा पर सबसे पहले कदम रखने का गौरव प्राप्त हुआ था। अंतिरक्ष यात्री नील ऑर्मस्ट्रांग ने 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर पहला कदम रखा था। आर्मस्ट्रांग और उनके साथी एल्ड्रिन बज का अपोलो 11 स्पेसक्राफ्ट जब चंद्रमा की जमीन पर उतरा तो इंसान के चंद्रमा पर पहुंचने की कल्पना हकीकत में बदल चुकी थी।
नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो के वाकापाकोनेटा में हुआ था। बचपन से ही उनकी प्रतिभा झलकने लगी थी और उनसे जुड़ी तमाम घटनाओं यही बताती हैं कि वे इसी महान मिशन के लिए बने हुए थे।
आइए आज बात करते हैं ऑर्मस्ट्रांग और उनके ‘मून मिशन’ के बारे में कुछ रोचक बातें….
★ नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी एल्ड्रिन इस ‘मून मिशन’ को लेकर काफी एक्साइटेड थे। उनका यह सपना 20 जुलाई 1969 को पूरा हुआ जब अपोलो 11 चंद्रमा पर उतरा।
★ चंद्रमा पर पहुंचते ही ऑर्मस्ट्रांग और एल्िड्रन जल्दी में अपने स्पेसक्राफ्ट का दरवाजा बंद करना ही भूल गए थे। ऐसे में बंदर केबिन में चंद्रमा के वायुमंडल की हवा भरने से दरवाजा जाम हो गया था। इस बात को लेकर दोनों अंतरिक्ष यात्रियों का काफी मजाक बनाया गया।
★ ऑर्मस्ट्रांग जब चंद्रमा से वापस आ रहे थे तो उनके साथी एल्ड्रिन को स्पेसक्राफ्ट की खिड़की से अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। दरअसल इन्होंने चंद्रमा पर जो अमेरिकी फ्लैग लगाया था वो ब्लॉस्ट हो चुका था।
★ बताते हैं कि जब अपोलो 11 को चंद्रमा से वापस लाया जा रहा था तो इसका इंजन स्टार्ट नहीं हो रहा था। ऐसे में ऑर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने नासा स्पेस स्टेशन से मदद की उम्मीद की। जब वहां से कोई नहीं आया तो एल्ड्रिन ने एक पेन की सहायता से इंजन को स्टार्ट कर दिया था।
★ आपको यह जानकर काफी अचंभा होगा कि ऑर्मस्ट्रांग द्वारा चंद्रमा पर रखे गए पहले कदम के निशान आज भी वहीं पर हैं। और यह कई लाख सालों तक नहीं मिटेंगे।
★ आर्मस्ट्रांग और उनके साथी ने चंद्रमा पर करीब ढाई घंटे बिताए थे। इस दौरान उन्होंने वहां सैंपल और कुछ फोटोग्राफ्स इकठ्ठा किए।
★ सेल्फी का शौक भले ही आज के जमाने का हो लेकिन आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर पहली सेल्फी खींची थी। दरअसल ऑर्मस्ट्रांग अपने साथी एल्ड्रिन की तस्वीर खींच रहे थे वहीं एल्ड्रिन के हेलमेट में रिफ्लेक्शन के चलते ऑर्मस्ट्रांग की फोटो भी आ गई।
★ इस यात्रा के दौरान कई असाधारण फोटो भी क्लिक की गई थीं। इनमें से एक फोटो में अमेरिकी झंडे के आगे एक अंतरिक्षयात्री सैल्यूट करता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके भी पीछे एक कहानी है। दरअसल, चांद की सतह पर अमेरिकी झंडा लगाना काफी मुश्किल काम था। लेकिन एक रॉड ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की समस्या को हल कर दिया था। उस समय कैमरा आर्मस्ट्रॉन्ग के पास था और तभी एल्ड्रिन ने अमेरिकी झंडे को सल्यूट किया और दूसरी तरफ खड़े आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस पल को अपने कैमरे में कैद कर लिया।
★ एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रॉन्ग में कई सारी समानताएं थीं। दोनों ही फाइटर पायलट थे और दोनों ने ही कोरियाई युद्ध में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। अमेरिका के न्यूजर्सी में पैदा हुए एल्ड्रिन को यूएस मिलिट्री अकादमी में थर्ड रैंक मिला था। 1951 में यहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने बतौर फाइटर पायलट यूएस एयर फोर्स ज्वाइन की थी। कोरियाई युद्ध में उन्होंने अमेरिका की तरफ से करीब 66 उड़ानें भरी और दो मिग-15 को मार गिराया। इसके बाद उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट से एस्ट्रॉनिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें नासा के एस्ट्रॉनॉट ग्रुप-3 के लिए चुना गया।
★ इंदिरा गांधी से मांगी माफी :
अमेरिका के इस मिशन मून से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी का ताल्लुक भारत के साथ भी है। दरअसल, भारत में इस एतिहासिक पल को देखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को घंटों बैठे रहना पड़ा था। एक बार जब आर्मस्ट्रॉन्ग भारत आए तब इंदिरा गांधी के करीबी नटवर सिंह ने उनसे इस बात का जिक्र किया था। जब आर्मस्ट्रॉन्ग और इंदिरागांधी के बीच मुलाकात हुई तो आर्मस्ट्रॉन्ग ने उस लंबे इंतजार के लिए प्रधानमंत्री से माफी भी मांगी थी।