कंपनी का मतलब किसी सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्मित बहुत से व्यक्तियों के एक समूह से है| वह समूह जो कमर्शियल और औद्योगिक प्रतिष्ठानो को चलाने के लिए बनाया गया है तथा बहुत सारे सामान्य व्यावसायिक टारगेट्स को पाने के लिए बहुत सारे व्यक्तियों के संगठन का निर्माण किया जाता है|
★ कम्पनी के प्रकार ★
कमर्शियल जगत के कामकाज और ज़रूरतों के हिसाब से भारत में कम्पनीज़ एक्ट 2013 के अंतर्गत अलग अलग companies के प्रकार बताये गए है|
वे मुख्यत: इस प्रकार :-
कंपनी मुख्यतः 4 प्रकार की होते है ।
1- Proprietorship (प्रोपराइटर शिप ) :
इस तरह के व्यापार में केवल एक अकेला आदमी सम्पूर्ण उद्योग का मालिक होता है | बिज़नेस को चलाने के लिए वही पूंजी लगाता है | मजदूर व मशीनें इत्यादि खरीदने के लिए भी खुद जिम्मेदार होता है | इस तरह के व्यापार में केवल एक व्यक्ति ही व्यापार सम्बन्धी सारे निर्णय लेता है | इसलिए फायदे और नुकसान का भी वह स्वयं प्रतिभागी होता है |
2- Partnership (पार्टनरशिप ):–
पार्टनर शिप के व्यापार में दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी कंपनी या व्यापार को चला रहे होते हैं | इसलिए संगठन में किसकी क्या भूमिका होगी तय करने हेतु Indian Partnership Act 1932 के अनुसार सभी साझेदारों के द्वारा लिखित तौर पर एक पार्टनरशिप डीड हस्ताक्षर की जाती है | और इस पार्टनरशिप डीड में लिखित शर्तों एवं नियमो के अनुसार ही पार्टनर्स द्वारा व्यापार चलाया जाता है | अत: यह भी स्पष्ट है की कंपनी में फायदा एवं घाटा के हिस्सेदार सारे Partners होते हैं |
3- Private Limited Company:
एक Private limited company में कम से कम 2 और अधिक से अधिक 15 directors हो सकते हैं | और यदि Share Holders की बात करें तो कम से कम 2 और अधिक से अधिक 200 share holders हो सकते हैं |
इस टाइप के संगठन कम्पनीज़ एक्ट 1956 के अंतर्गत रजिस्टर ऑफ़ कम्पनीज़ द्वारा अनुबंधित होते हैं | Private Limited Company में कंपनी का एक मेमोरेंडम और आर्टिकल्स ऑफ़ एसोसिएशन बनाया जाता है | जिसमे संगठन के सारे कार्यक्षेत्रों के प्रति नियम एवं शर्तें वर्णित होती हैं | और इसके आधार पर ही कंपनी का संचालन किया जाता है |
4 – Public Limited Company:
Public limited company में कम से कम 7 share holders और कम से कम 3 directors का होना अनिवार्य है | PLC भी companies Act 1956 के अनुसार Registrar of companies के अंतर्गत Registered होती हैं |
ऐसी कंपनियों को business start करने से पहले Trading Certificate लेना होता है | Management में कोई नियुक्ति और वैधानिक बैठकें आयोजित करने के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है | इसके अलावा public limited company अपने शेयर बेचने हेतु बाज़ार में विज्ञापन प्रसारित करवा सकती हैं | जबकि एक private limited company ऐसा नहीं कर सकती है।
★ कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे करें ★
डिजिटल युग में अब कंपनी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन हो जाने से लोगों की परेशानी कम हो गई है।
आइये देखते है कि क्या क्या तरीका है कि ये कैसे कैसे होता है।
★ क्या करना होगा ★
● अपने सभी दस्तावेज तैयार रखें
● जन्म और पते संबंधी प्रमाण पत्र तैयार रखें
● कंपनी का एक यूनीक नाम रखें
● कंपनी के नाम से एक पैन कार्ड बनवाएं
★ क्या होनी चाहिए पढ़ाई लिखाई ★
कंपनी का डायरेक्टर या फिर शेयर होल्डर बनने के लिए किसी तरह की शैक्षिक योग्यता की जरूरत नहीं होती है। हां, डायरेक्टर बनने के लिए आपकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए।
★ कंपनी कहां शुरू करें ★
कपंनी शुरु करने के लिए आपको एक कार्यलय की जरूरत होती है। इसी कार्यलय के पते पर आप कंपनी का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। ऑफिस खेलने के लिए आपको ऐसी जगह चुननी होगी जहां से मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स से आसानी से संचार स्थापित कर सकें। कंपनी कैपिटल, कंपनी के शुरुआती दौर में लगाए जाने वाली पूंजी है।
★ कंपनी कैपिटल क्या है ★
कंपनी शुरु करने से पहले फीस के तौर पर सरकार को एक लाख रुपए की रकम जमा कर सकते हैं। ये एक लाख रुपए की रकम कंपनी के रजिस्ट्रेशन के दौरान देनी होती है। कंपनी रजिस्ट्रेशन के दौरान कैपिटल निवेश से संबंधित कोई प्रूफ देना आवश्यक नहीं होता है।
★ कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन ★
कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने से पहले आपको फॉर्म INC-29 भर कर जरूरी दस्तावेजों के साथ जमा करना होगा। अगर आपका दिया हुआ नाम मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने मान लिया तो ठीक है नहीं तो फिर आपको दूसरा नाम देना होगा।
★ जरूरी दस्तावेज ★
● कंपनी के जितने भी डायरेक्टर्स और कर्मचारी है उन सभी के पास पहचानपत्र होना चाहिए
● कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए आपको एक पैनकार्ड जमा करना होगा।
● जिस पते पर कंपनी का कार्यालय स्थापित किया जाएगा, वहां का प्रमाण पत्र देना जरूरी है।
● अगर किराए पर लेकर ऑफिस बना रहे हैं तो मकान मालिक से NOC लेना जरूरी है।
● जिसके नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेन है उसका पता और पहचान पत्र जमा करना जरूरी होगा।