प्रोफेसर एडमस्मिथ का जन्म 5 जून, 1723 को स्काटलैण्ड के एक छोटे करने किरकेल्डी में हुआ था । उनके पिता एक कस्टम अधिकारी थे, जो एडमस्मिथ के जन्म के 3 महीने पहले ही निधन हो गया था।
★ स्मिथ की पढ़ाई लिखाई ★
अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् उन्होंने ग्लासगो विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उस समय स्मिथ की आयु केवल चौदह वर्ष थी। तेज बुद्धि होने के कारण उन्होने स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों के साथ पूरी की, जिससे उनको छात्रवृत्ति मिलने लगी। जिससे आगे की पढ़ाई के लिए ‘आ॓क्सफोर्ड विश्वविद्यालय’ जाने का रास्ता खुल गया। वहां उन्होने प्राचीन यूरोपीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। उस समय तक यह तय नहीं हो पाया था कि भाषा विज्ञान का वह विद्यार्थी आगे चलकर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में न केवल नाम कमाएगा, बल्कि अपनी मौलिक स्थापनाओं के दम पर वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में युगपरिवर्तनकारी योगदान भी देगा। 1738 में स्मिथ ने सुप्रसिद्ध विद्वान-दार्शनिक फ्रांसिस हचीसन के नेतृत्व में नैतिक दर्शनशास्त्र में स्नातक की परीक्षा पास की। वह फ्रांसिस की मेधा से काफी प्रभावित था तथा उसको एवं उसके अध्यापन में बिताए गए दिनों को, अविस्मरणीय मानता था।काफी होशियार होने के कारण स्मिथ की प्रतिभा कॉलेज स्तर से ही पहचानी जाने लगी थी। इसलिए अध्ययन पूरा करने के बाद स्मिथ जब वापस अपने पैत्रिक नगर स्काटलेंड पहुंचा, तब तक वह अनेक महत्त्वपूर्ण लेक्चर दे चुका था, जिससे उसकी ख्याति फैलने लगी थी।
★ स्मिथ का कामकाज ★
वे फ्रांसिस हचेसन के विचारों से बेहद प्रभावित हुए । 1751 में एडमरियरथ न्याय के प्राध्यापक नियुक्त हुए । बाद में वहीं नैतिक दर्शन के प्राध्यापक नियुक्त किये गये ।
★ स्मिथ की पहली किताब ★
सन् 1759 में उनकी प्रथम पुस्तक ‘द थ्योरी ऑफ मॉरल सेंटीमेंट’ प्रकाशित हुई । इस पुस्तक द्वारा उनकी विद्वता की धाक जम गयी थी तथा अंग्रेज दार्शनिकों की अग्रिम पंक्ति में उनको स्थान मिल गया ।
★ स्मिथ की महान पुस्तक ★
सन् 1776 में उनकी महान् पुस्तक ‘वैल्थ ऑफ नेशन्स’ यह एक क्रान्तिकारी रचना थी । इस पुस्तक में अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों और आर्थिक नीति दोनों का ही विश्लेषण किया गया था । इस पुस्तक में उस युग के प्रचलित विचारों को भी लगातार वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषित किया गया था, जिसकी शैली अत्यन्त सरल, रोचक व मनोरंजक थी । 900 पृष्ठों की इस पुस्तक का प्रारम्भ श्रम से होता है, जिसमें राष्ट्र की सम्पत्ति का वार्षिक स्त्रोत बताया गया है । श्रम विभाजन, विनिमय, वितरण के विभिन्न तत्त्व, वाणिज्यवाद एवं प्रकृतिवाद तथा राजस्व की विवेचना भी की गयी । इसमें राज्य के कार्य क्या होने चाहिए ? राज्य को किस प्रकार कोष प्राप्त करना चाहिए ?
आदि के साथ-साथ करारोपण के 4 अतिरिक्त सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये, जो आज भी मौलिक महत्त्व रखते हैं । यह पुस्तक अपनी कुछ सीमाओं के बाद भी अनूठी है ।
स्मिथ ने सभ्य समाज का विभाजन तीन प्रकार से बताया है:
1 जमींदार, 2. श्रमिक, 3. उद्यगी ।
उन्होंने राज्य के तीन कार्य बताये हैं:
1. विदेशी आक्रमण से सुरक्षा, 2. जनहितकारी कार्य और 3.कानून व न्याय अनुसार शासन ।
राजस्व आय के दो साधन बताये :-
1. जिसमें भूमि, पूंजी, सरकारी कोष 2. प्रजा से कर वसूली ।
एडम स्मिथ एक महान् आर्थिक विचारक थे । उनके ही आर्थिक सिद्धान्तों का भावी अर्थशास्त्रियोंअनुकरण किया, जिसमें रिकार्डो का लगान सिद्धान्त, माल्थस का जनसंख्या सिद्धान्त, कार्ल मार्क्स का समाजवादी अर्थशास्त्र का सिद्धान्त प्रमुख है । स्मिथ के पहले अर्थशास्त्र एक प्रणाली मात्र था, जिसको विज्ञान का रूप स्मिथ ने ही दिया ।
अर्थशास्त्र के प्रत्येक क्षेत्र में उनका योगदान अंत्यन्त प्रशंसनीय है। प्रकृति निश्चित तौर पर निरन्तर अपना कार्य करती रहती है। कभी उदारता, तो कभी प्रकोप करके वह सन्तुलन को बनाये रखती है। यह उनका प्राकृतिक विधान तथा आर्थिक मानव सम्बन्धी सिद्धान्त है ।
★ मृत्यु ★
एडम स्मिथ की मृत्यु 17 जुलाई,1790 को ग्रेट, ब्रिटेन में हुई थी।