चंगेज़ खान का जन्म 1162 के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसकी माता का नाम होयलन और पिता का नाम येसूजेई था जो कियात कबीले का मुखिया था। चंगेज़ खान की दांयी हथेली पर पैदाइशी खूनी धब्बा था।उसके तीन सगे भाई व एक सगी बहन थी और दो सौतेले भाई भी थे।उसका वास्तविक नाम तेमुजिन (या तेमूचिन) था। मंगोल भाषा में तिमुजिन का मतलब लौहकर्मी होता है।
★ चंगेज़ खान का शुरुआती जीवन ★
जब तेमुजिन 9 वर्ष का था तब उसके पिता उसको अपनी होने वाली दुल्हन के परिवार के यहाँ ले गया | वापस लौटते समय चंगेज खा के पिता को प्रतिद्वंद्वी टटार जनजाति विद्रोहियों ने खाने में जहर मिलाकर मार दिया | अपने पिता की मौत के बाद तेमुजिन अपने पिता के स्थान पर कबीले का प्रमुख बन गया | हालांकि कबीले के लोगो ने उस युवा लडके को मुखिया मानने से मना कर दिया | अब उसके परिवार में उसके जवान भाई और सौतले भाईयो ने उसे कबीले से बाहर निकाल दिया और उसे शरणार्थी का दर्जा दे दिया | अपने परिवार के ज्यादा दबाब में अनी पर तेमुजिन ने अपने सौतले भाई बेख्तेर को मार दिया और परिवार का मुखिया बन गया |
★ चंगेज़ खान स्वभाव से बहुत खतरनाक था ★
क्रूर योद्धा चंगेज खान की बात करें, तो उसने अपने जीवन भर की लड़ाइयों में लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उसकी निर्दयता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि वो जिधर से निकलता, वहां थोड़ा सा भी विरोध होने पर आस-पास के इलाकों को भी खून से लथपथ कर देता था। उसकी इसी निर्दयता के कारण पश्चिम एशिया तक के राजाओं ने उसके सामने हार मान ली। तेमुजिन की अधीनता स्वीकार करने के बाद तमाम कबीलों के राजाओं ने उसे चंगेज खान (समुद्रों के राजा) की उपाधि दी।
चंगेज खान ने ही प्रसिद्ध मंगोल साम्राज्य की नींव डाली। जिसका पूरी दुनिया के 22 फीसदी इलाके पर कब्जा था। चंगेज खान की बर्बरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने ईरान की तीन चौथाई आबादी का समूल खात्मा कर दिया था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि चंगेज के हमले के समय जितनी आबादी पूरे ईरान की थी, उतनी आबादी वापस होने में 750 सालों का लंबा समय लगा। ऐसे में ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि चंगेज खान कितना क्रूर और निर्दयी था। एक अनुमान के मुताबिक उसने 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
सन् 1218 में कराखिता की पराजय के बाद मंगोल साम्राज्य अमू दरिया, तुरान और ख्वारज्म राज्यों तक विस्तृत हो गया । 1219 से 1221 के बीच कई बड़े राज्यों – ओट्रार, बुखारा, समरकंद, बल्ख, गुरगंज, मर्व, निशापुर और हेरात के राजाओ- ने मंगोल सेना के सामने समर्पण कर दिया । जिन नगरों ने प्रतिशोध किया उनका विध्वंस कर दिया गया और वहॉ की सम्पदा लूट ली और जिसने लूट का विरोध किया उसको निर्दयी सेना ने मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान मंगोलों ने बेपनाह बर्बरता का परिचय दिया और लाखों की संख्या में लोगों का वध कर दिया। दुनिया भर में दुर्दान्त चंगेजखान ने भय और हाहाकार का वातावरण बना दिया । भारत सहित संपूर्ण रशिया एशिया और अरब देश चंगेज खान के नाम से ही भयभीत रहने लगे ।
★ चंगेज़ खान की मृत्यु ★
अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्ध में व्यतीत करने के बाद सन् 1227 में उसकी मृत्यु हो गई ।