बीसवीं सदी के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का मानना था कि यूक्लिड वह महान शखिसयत थे, जिन्होंने दुनिया को तार्किकता सिखायी। आज पूरी दुनिया जो ज्यामिति पढ़ रही है,। यूक्लिड सिर्फ गणितज्ञ ही नहीं थे, बल्कि कला, संगीत तथा प्रकाश विज्ञान के भी विद्वान थे। वह भी उस कोटि के की 2200 साल बाद अल्बर्ट आइंस्टीन जब अपना महान ‘सापेक्षता का सिद्धांत’ गढ़ रहे थे, तब उन्हें यूक्लिड की ज्यामिति और प्रकाशिकी से खासतौर पर प्रकाश विभाजन के सिद्धांत से अपना सूत्र सिद्धांत गढ़ने में भरपूर मदद मिली।
युक्लिड (Euclid) का जन्म ईसा पूर्व 330 के आसपास हुआ | उनके पिता यूरेनस एक साधारण दुकानदार थे। माना जाता है कि यूक्लिड को शिक्षा प्लेटो की अकादमी में मिली। यूक्लिड की दिलचस्पी रेखा गणित में बचपन से ही थी। जब वह बहुत छोटे थे तभी से बिंदुओं और रेखाओ के बीच उलझे रहते थे। उनकी शिक्षा दीक्षा एथेंस में हुयी थी और बाद में वे मिस्त्र के लोकप्रिय शहर अलेक्जेंड्रिया में गणित पढाने लगे थे | उस काल में यह शहर शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था | उस काल में टॉलमी प्रथम का शासन था | युक्लिड प्राचीन यूनान के गणितज्ञ थे जिनका ज्यामिति संबधी कार्य बहुत लम्बे समय तक लोकप्रिय रहा |
बड़े होकर उन्होंने ज्यामिति से संबंधित जो भी चीज़ें उनके पास थी उन सबको जोड़के उसे नियमबद्ध किया। इस तरह उन्होंने यूनानी भाषा में 13 खंडों का ज्यामिति पर वृहद ग्रंथ रचा जिसका नाम स्टोइकेइया था। इस ग्रंथ का छठी शताब्दी में सीरियाई भाषा में अनुवाद हुआ, फिर आठवीं शताब्दी में इसका अनुवाद अरबी में हुआ और अरबी से इसका अनुवाद अंग्रेजी में हुआ, जहां इसे एलीमेंट कहा गया। यूक्लिड के इस ग्रंथ में पाइथागोरस, हिप्पोक्रेटिस, थियोडोरिस जैसे तमाम प्राचीन गणितज्ञों की खोजों का समावेश है।
युक्लिड को द डाटा (ए कलेक्शन ऑफ ज्योमेट्रिकल थ्योरम्स); द फिनॉमिना (द डिस्क्रिप्शन ऑफ हेवन्स); द ओप्टिक्स; द डिवीजन ऑफ स्केल, ए मेथेमेटिकल डिस्कशन ऑफ म्युजि़क और भी कईं किताबें लिखने का श्रेय जाता है।
यूक्लिड द्वारा संकलित और संशोधित ज्यामिति आज भी पढाई जाती है। यूक्लिड पढाई-लिखाई के बाद यूनान को छोड़कर सिकंदरिया चले गये थे, क्योकि उन दिनों यूनान में राजनीतिक उथल-पुथल बहुत तेज थी। सिकंदरिया के तत्कालीन बादशाह टालमी ने यूक्लिड को बेहद समान दिया और उनके लिए सिकंदरिया में एक बड़ा विद्यालय में रहते हुए यूक्लिड ने अपने महान ग्रंथ की रचना की थी। सिकंदरिया में यूक्लिड डंका हर तरफ बजता था। रेखा गणित को आधुनिक स्वरुप देने वाले यूक्लिड का गणित और विज्ञान के शिखर पुरषों में स्थान बहुत ऊंचा है। आज उनका ग्रंथ दुनिया की हर भाषा में मौजूद है।
जन्म की तरह युक्लिड की मृत्यु के बारे में अनुमान ही लगाया जा सकता है | यह माना जाता है कि उनकी मृत्यु ईसा पूर्व 275 में हुयी थी |